Quotes of Osho in Hindi – जिंदगी तो सस्ती है बस गुजारने के तरीके महंगे हैं
जिंदगी तो सस्ती है बस गुजारने के तरीके महंगे हैं
Quotes of Osho in Hindi
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ओशो के इन प्रसिद्ध विचारों से मिलेगी
“जीवन एक उत्सव है, इसे स्वीकार करें और जियें.” (Life is a celebration, accept it and live it.)
“डर में मत जियो, प्यार से जियो.” (Don’t live in fear, live in love.)
“मैं हर पल जीना चाहता हूं, ये वक्त दोबारा नहीं आता.” (One must live in every moment, this time will not come again.)
“अपना दिल मत तोड़ो, तोड़ने से कुछ हासिल नहीं होता.” (Don’t break your heart, breaking it gains nothing.)
“बदलना जीवन है, स्थिर रहना मृत्यु है.” (To change is life, to stay stagnant is death.)
“ख़ुशी आपके अंदर है, उसे खोजो मत, बस जियो.” (Happiness is within you, don’t search for it, just live.)
“सच तो यह है कि हम वही हैं जो हम सोचते हैं.” (The truth is that we are what we think.)
“प्रेम ही एकमात्र धर्म है.” (Love is the only religion.)
“क्रोध जहर है, अपने जीवन को जहर मत बनाओ.” (Anger is poison, don’t poison your own life.)
“क्षमा शक्ति है, कमजोरी नहीं.” (Forgiveness is strength, not weakness.)
“जीवन में कभी हार मत मानो.” (Never give up in life.)
“दूसरों को बदलने की कोशिश मत करो, खुद को बदलो.” (Don’t try to change others, change yourself.)
“स्वतंत्रता सबसे बड़ा धर्म है.” (Freedom is the greatest religion.)
“आनंद ही जीवन का उद्देश्य है.” (Joy is the purpose of life.)
“ज्यादा मत सोचो, जीवन का अनुभव करो.” (Don’t think too much, experience life.)
Osho Quotes In Hindi
हम जो हैं वही हम सोच पाते हैं। हम अपने ढंग से सोचते हैं।
पने आप से प्रेम रखें, तभी आप दूसरों को प्रेम कर सकेंगे।
जो कल हो चुका, उससे सीखें और पार जायें, दुहरायें नहीं। जहाँ से गुजर गए वहां से गुजर ही जाएँ, उसको पकड़े नही।
अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए। जीवन को मजे के रूप में लीजिये- क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है।
दिल भूत और भविष्य के बारे में कुछ नहीं जानता है, यह सिर्फ वर्तमान के बारे में ही जानता है। दिल के लिए समय जैसा कुछ भी नहीं है।
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आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों को प्रेम कर सकते हैं- इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे, और कहेंगे, अब मेरे पास प्रेम नहीं है। जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते।
ओशो के अनमोल विचार
‘मैं’ से भागने की कोशिश मत करना। उससे भागना हो ही नहीं सकता, क्योंकि भागने में भी वह साथ ही है। उससे भागना नहीं है बल्कि समग्र शक्ति से उसमे प्रवेश करना है। खुद की अंहता में जो जितना गहरा होता जाता है उतना ही पाता है कि अंहता की कोई वास्तविक सत्ता है ही नहींl
ओशो के अनमोल विचार
जीवन कोई त्रासदी नहीं है, ये एक हास्य है। जीवित रहने का मतलब है हास्य का बोध होना।
प्यार का एक छोटा सा पल भी सारे समय प्यार के बराबर है।
परमात्मा का प्रमाण पूछते हों? क्या चेतना का अस्तित्व पर्याप्त प्रमाण नहीं है? क्या जल की बूँद ही समस्त सागरों को सिद्ध नही कर देती है।
लेकिन कल तो कभी आता नहीं, जब भी आता है, आज ही आता है। कल भी आज ही आएगा।
योगा No-Dreaming mind तक पहुचने का तरीका है।
जेन लोग बुद्ध को इतना प्रेम करते हैं कि वो उनका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं। ये अथाह प्रेम कि वजह से है, उनमे डर नहीं है।
यह मत कहो कि मैं प्रार्थना में था क्योंकि इसका मतलब आप प्रार्थना के बाहर भी होते हो। जो प्रार्थना के बाहर भी होता है वो प्रार्थना में नहीं हो सकता। प्रार्थना क्रिया नहीं है प्रार्थना तो प्रेम की परिपूर्णता है।
Relax करो जाने दो। लेकिन बस एक बात याद रखना। आप केवल एक गवाह हैं।
प्रसन्नता सद्भाव की छाया है, वो सद्भाव का पीछा करती है। प्रसन्न रहने का कोई और तरीका नहीं है।
दिल नहीं जानता कि क्या Doubt है, नहीं जानता कि क्या Believe है। दिल तो बस Trust जानता है।
आदमी बीतता है। समय नहीं बीतता। हम खर्च होते हैं, समय खर्च नहीं होता।
जीवन की खोज में आत्म तुष्टि से खतरनाक और कुछ भी नहीं। जो खुद से संतुष्ट है वो एक अर्थ में जीवित ही नहीं है और खुद से असंतुष्ट है वही सत्य की दिशा में गति करता है। स्मरण रखना कि आत्म तूष्टि से निरंतर ही विद्रोह में होना धार्मिक है।
इंसान Robot की तरह रहता है, Mechanically Efficient, पर बिना चेतना के।
आप वो बन जाते हैं जो आप सोचते हैं कि आप है।
जब मैं कहता हूँ कि आप देवी-देवता हैं तो मेरा मतलब होता है कि आप में अनंत संभावनाएं है, आपकी क्षमताएं अनंत हैं।
बिना प्यार के इंसान बस एक शरीर है, एक मंदिर जिसमे देवता नहीं होते। प्यार के साथ देवता आ जाते है, मंदिर फिर और खाली नहीं रहता है।
मृत्यु से घबराकर तो तुमने कंही ईश्वर का अविष्कार नहीं कर लिया है? भय पर आधारित ईश्वर से असत्य और कुछ भी नहीं है।
पहला कदम आधी यात्रा है, चाहे यात्रा किनती ही बड़ी क्यों ना हो।
अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं। चूँकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं, इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते हैं।
हंसना एक बहुत ही Healthy Exercise है। यदि कोई हंसता है तो ये Perfectly बढिया Exercise है और आप उसे Join कीजिये। यदि कोई Playful है, आपके पास समय है, तो आप उसे Join कीजिये।
जो सदा वर्तमान में है वही सत्य है। निकटतम हो है वही अंतिम सत्य है। दूर को नहीं निकट को जानो क्योंकि जो निकट को ही नहीं जानता है वो दूर को कैसे जानेगा? और जो निकट को जान लेता है उसके लिए दूर शेष ही नहीं रह जाता है।
कभी ये मत पूछो कि मेरा सच्चा मित्र कौन है? बल्कि ये पूछो कि क्या मैं किसी के लिए सच्चा मित्र हूँ? हमेशा Concerned रहो।
यदि तुम अप्रसन्न हो तो इसका सरल सा अर्थ यह है कि तुम अप्रसन्न होने की तरकीब सीख गए हो। और कुछ नहीं।
जेन एकमात्र धर्म है जो एकाएक आत्मज्ञान सीखता है। इसका कहना है कि आत्मज्ञान में समय नहि लगता, ये बस कुछ ही क्षणों में हो सकता है।
प्यार सिखाया नहीं जा सकता, ये तो बस पकड़ा जा सकता है।
उदासी उतना उदास नहीं करती, जितना उदासी आ गई, यह बात उदास करती है। उदासी की तो अपनी कुछ खूबियां हैं, अपने कुछ रहस्य है। अगर उदासी स्वीकार हो तो उदसी का भी आपना मजा है।
एक Serious Person कभी भी मासूम(Innocent) नहीं हो सकता और एक Innocent Person कभी Serious नहीं हो सकता।
सबसे बड़ी मुक्ति है स्वयं को मुक्त करना क्योंकि साधारणतया हम भूले ही रहते है कि स्वयं पर हम स्वयं ही सबसे बड़ा बोझ है।
जिसने पहला कदम उठा लिया है, वह अंतिम भी उठा लेगा। पहले मे ही अड़चन है, अंतिम में अड़चन नहीं है।
यदि आप उदास हैं तो आप गलत हैं। यदि आप खुशनुमा हैं, तो आप सही हैं।
जिस दिन आप ने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, आपकी मृत्यु हो जाती है- क्योंकि अब ना कोई आश्चर्य होगा, ना कोई आनंद और ना कोई अचरज।
मनुष्य को मनुष्यता बनी बनाई नहीं प्राप्त होती है। उसे तो मनुष्य को स्वयं निर्मित करना होता है। यही सौभाग्य भी है और दुर्भाग्य भी। सौभाग्य क्योंकि स्वयं को सृजन की स्वतंत्रता भी है लेकिन स्वयं को निर्मित किये बिना नष्ट हो जाने की सम्भावना भी।
लोग आजादी को पसंद करते है, लेकिन कोई जिम्मेदारी नहीं चाहता। यह दोनों एकसाथ आते हैं, इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है।
आत्मज्ञान एक समझ है कि यही सबकुछ है, यही बिलकुल सही है, बस यही है। आत्मज्ञान कोई उप्लाब्धि नही है। यह ये जानना है कि ना कुछ पाना है और ना कहीं जाना है।
आदमी एक कदम चलता है एक बार मे, कोई मीलों की छलांग नहीं लगाता, और एक-एक कदम चल कर आदमी हजारों मील चल लेता है। जो आदमी ये देखता है की अगर एक कदम चल लेता हूँ तो एक कदम हजार मील मे कम हुआ।
Sharing सबसे अनमोल धार्मिक अनुभव होता है। Sharing करना बढिया है।
यदि आप एक दर्पण बन सकते हैं तो आप एक ध्यानी बन सकते हैं। ध्यान दर्पण में देखने की कला है।
मनुष्य को अपना विकास करके ईश्वर नहीं होना है मेरी दृष्टि में अगर वो अपने आप को पूरी तरह जान ले तो वो अभी और इसी वक्त ईश्वर है। स्वयं का सम्पूर्ण आविष्कार ही एकमात्र विकास है।
सच्च कुछ ऐसा नहीं जो बाहर से Discover किया जा सके। यह कुछ ऐसा है जो अन्दर से अनुभव किया जाता हैl
कोई प्रबुद्ध कैसे बन सकता है? बन सकता है, क्योंकि वो प्रबुद्ध होता है- उसे बस इस तथ्य को पहचानना होता है।
प्रयास तो करना ही होगा, लेकिन उस प्रयास को एक बोझिलता जो बनाएगा, वह हार जाएगा।
आपकी ईमानदारी, आपका प्यार, आपका Compassion आपके अन्दर से आना चाहिए। Teachings से नहीं।
मित्रता शुद्धतम प्रेम है। ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहां बस देने में आनंद आता है।
सवाल ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है, इसके उलट, सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है।
मैं आपको कहीं और ध्यान ले जाने को नहीं कह रहा हूँ। आप जो कर रहे हैं उसको ही ध्यान बना लें। इससे आपके किसी काम मे बाधा नहीं पड़ेगी, बल्कि सहयोग बनेगा।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा है क्योंकि वह नहीं जानते कि प्यार क्या है। मैं तुम्हे कहता हूँ कि सिर्फ प्यार की आँखें है। प्यार के बिना सब कुछ अँधा है।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा है क्योंकि वह नहीं जानते कि प्यार क्या है। मैं तुम्हे कहता हूँ कि सिर्फ प्यार की आँखें है। प्यार के बिना सब कुछ अँधा है।
किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है। आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं। खुद को स्वीकारिये।
उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये।
जितने ध्यान पूर्वक काम किया जाए, काम उतना कुशल हो जाता हैl
मुर्ख दूसरों पर हँसते हैं। बुद्धि मत्ता खुद पर।
पैरों के बिना चलो, पंखो के बिना उड़ो और मन के बिना सोचो।
जीवन ठेहराव और गति के बीच का संतुलन है।
दूसरे को दु:ख देना मेरे हाथ मे कहाँ है, जब तक दूसरा दुखी होने को तैयार ना हो।
जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।
मोह के बिना दु:ख होता ही नहीं। जब भी दु:ख होता है, मोह से होता है।
हम अनुकरण से जीते हैं। एक आदमी पेशाब करने चला जाए तो कई लोगों को ख्याल हो जाएगा की पेशाब करने जाना है। संक्रामक है। हम एक दूसरे के हिसाब से जी रहे हैं।
अगर आप सच देखना चाहते हैं तो ना सहमती और ना असहमती में राय रखियेl
जो मांगता है उसे मिलता नहीं और जो नहीं मांगता उसे बहुत मिल जाता है।
कोई चुनाव मत करिए। जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है।
उठ, तो ये जानते हुए उठ, की तू उठ रहा है। बैठ तो जानते हुए बैठ, की तू बैठ रहा है। तेरे भीतर कुछ भी ना हो पाए जो तेरे बिना जाने हो रहा है।
यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है। हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है।
शरीर की दो तरह की जरूरतें हैं, भरने की और निकालने की। जो चीज नयी है उसे भरो, जो चीज ज्यादा हो जाए उसे निकालो।
कल कभी भी नहीं होता है। जब भी हाथ मे आता है, तो आता है आज, और उसको भी कल पर छोड़ देते हैं। हम जीते ही नहीं, स्थगित किये चले जाते हैं। कल जी लेंगे, परसों जी लेंगे।
केवल वो लोग जो कुछ भी नहीं बनने के लिए तैयार हैं प्रेम कर सकते हैं।
जो भी किया जा सकता है, उसी वक़्त किया जा सकता है। जिसे आप कल पर छोड़ रहे हैं, जान लें, आप करना नहीं चाहते हैं।
मेरा संदेश सिद्धान्त नहीं है, दर्शन भी नहीं है। मेरा संदेश एक तरह की अल्कैमी है, रूपांतरण का एक विज्ञान।
यीशु या बुद्ध या एक बोधिधर्म के पूरे प्रयास कुछ भी नहीं है परन्तु उसको कैसे मिटा दे जो समाज ने आपके लिए किया है।
प्रेम तब निर्दोष होता है जब उसमें कोई वजह नहीं होती।
अकेलापन सदा उदासी लाता है, एकांत आनंद लाता है।
आंतरिक विज्ञान का सौंदर्य यह है कि जो भी मार्ग तलाश रहा है, तथा अपने भीतर प्रयोग कर रहा है, यह उसे अपने एकांत में ऐसा करने में सहायता करता हैl
दुनिया का सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग। जिन्दगी में आप जो करना चाहते है वो जरूर कीजिये, ये मत सोचिये कि लोग क्या कहेंगे। क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते है, जब आप कुछ नहीं करते।
मैं ‘किसी से’ बेहतर करूं क्या फर्क पड़ता है। मैं किसी का बेहतर करूं बहुत फर्क पड़ता है।
असली सवाल यह है की भीतर तुम क्या हो? अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करोगे, उससे गलत फलित होगा, अगर तुम भीतर सही हो, तो तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा।
मनुष्य खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है, बल्कि जब वह तैयार होता है तो ईश्वर खुद उसके पास आ जाते है।
बहुत सुन्दर शब्द जो एक मंदिर के दरवाजे पर लिखे थे- ठोकरे खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब, वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज निभा ही दिया था।
संसार सुन्दर है क्योंकि इसे ईश्वर ने बनाया है। जो संसार को गंदा कहता है वह ईश्वर का निरस्कार कर रहा है।
सारी शिक्षा व्यर्थ है, सारे उपदेश व्यर्थ है, अगर वे तुम्हें अपने भीतर डूबने की कला नहीं सीखाते।
जिंदगी को अगर हमें जिंदा बनाना है, तो बहुत सी जिंदा समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। अगर हमें जिंदगी को मुर्दा बनाना है, तो हो सकता है हम सारी समस्याओं को खत्म कर दें, लेकिन तब आदमी मरा-मरा जीता है।
उत्सव मेरा धर्म है, प्रेम मेरा संदेश है, और मौन मेरा सत्य है।
जीवन क्या है? कुछ नहीं, ठेहराव और गति के बीच का संतुलन।
मैं तो दो ही शब्दों पर जोर देता हूँ- प्रेम और ध्यान क्योंकि मेरे लेखे अस्तित्व के मंदिर के दो ही विराट दरवाजे हैं। एक का नाम प्रेम, एक का नाम ध्यान चाहो तो प्रेम से प्रवेश कर जाओ, चाहो तो ध्यान से प्रवेश कर जाओ। शर्त एक ही है: अहंकार दोनों में छोड़ना होता है।
जीवन को संगीतपूर्ण बनाओ, ताकि काव्य का जन्म हो सके, और फिर सौंदर्य ही सौंदर्य है, और सौंदर्य ही परमात्मा का स्वरूप है।
धर्म का जन्म संतो से होता हैं और विनाश पंडितो से।
यज्ञ हवन में फैंका गया घी, चावल, गेहूं, पागलपन है, विक्षिप्तता है, अपराध है। देश भूखा मरता है और हजारों मन अनाज, सैकड़ों पीपे घी प्रतिवर्ष बहाया जाता है। तुम पागल हो यह धर्म नहीं है।
अगर तुम्हारे जीवन में जरा भी बुद्धि है, तो इस चुनौती को स्वीकार कर लेना कि बिना अपने को जाने अर्थी को उठने नहीं दोगे।
जिस दिन तुम गुरू की आवाज सुनोगे, सारा संसार तुम्हे रोकेगा। लेकिन फिर रूकनाअसंभव है।
जब आप हंस रहे होते हैं, तो ईश्वर की ईबादत कर रहे होते हैं, और जब आप किसी को हँसा रहे होते हैं तो ईश्वर आपके लिए ईबादत कर रहा होता है।
कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले। वह पूरे जगत को जान ले। लेकिन अगर वह स्वयं को नहीं जानता है तो वह अज्ञानी है।
जहां आपको लगता है कि कुछ निंदा हो रही है वहीं आपको रस आता है, रस आता है क्योंकि दूसरा आदमी छोटा किया जा रहा है और उसके छोटे होने से आपको अंदर से अनुभव होता है कि मैं बड़ा हूँ।
तुमने पद, धन, यश, कीर्ति, प्रेम इन सबकी चेष्टाएं की, बस एक ध्यान के दीए को जलाने की चेष्टा नहीं की, वही काम आएगा। मृत्यु केवल उसी दीए को नहीं बुझा पाती। बुद्ध कहते हैं, ध्यान अमृत सूत्र है।
दुख पर ध्यान दोगे तो हमेशा दुखी रहोगे। सुख पर ध्यान देना शुरू करो, दरअसल तुम जिस पर ध्यान देते हो वह चीज़ सक्रिय हो जाती है।